नीति आयोग की राज्य उच्च शिक्षा पर रिपोर्ट (2025)

नीति आयोग की राज्य उच्च शिक्षा पर रिपोर्ट (2025)

नीति आयोग की राज्य उच्च शिक्षा पर रिपोर्ट (2025)

नीति आयोग ने राज्यों और राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का विस्तार पर आधारित रिपोर्ट 10 फरवरी 2025 को जारी की। यह रिपोर्ट विशेष रूप से राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (SPUs) पर केंद्रित है और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में नीतिगत सुझाव प्रस्तुत करती है। इसमें पिछले एक दशक में उच्च शिक्षा के गुणवत्ता, वित्तपोषण, शासन, और रोजगार क्षमता पर विस्तृत विश्लेषण किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  1. विशेष फोकस – राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालय:
    • रिपोर्ट में SPUs की स्थिति और विकास को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई है। भारत में 80% उच्च शिक्षा राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (SPUs) के माध्यम से होती है, और यह विश्वविद्यालय भविष्य में भारत के उच्च शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र बनेंगे।
    • 2035 तक SPUs में नामांकन का लक्ष्य 7 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है, जो इस क्षेत्र में लगातार वृद्धि को दर्शाता है।
  2. राज्यवार शिक्षा व्यय और अंतर:
    • रिपोर्ट में बताया गया है कि जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, और त्रिपुरा जैसे राज्यों ने जीडीपी के प्रतिशत के रूप में उच्च शिक्षा पर सबसे अधिक खर्च किया है, जिनका खर्च 8.11% तक है।
    • इसके विपरीत, दिल्ली (1.67%), तेलंगाना (2%) और कर्नाटक (2.01%) जैसे राज्यों में उच्च शिक्षा के लिए बहुत कम आवंटन किया गया है। यह वित्तीय असमानताएं उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच पर असर डाल सकती हैं।
  3. विश्वविद्यालय घनत्व में असमानता:
    • सिक्किम में सबसे अधिक विश्वविद्यालय घनत्व 10.3 है, जबकि बिहार में यह संख्या सिर्फ 0.2 है, जो वहां के उच्च शिक्षा के लिए एक चुनौती है।
    • उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे अत्यधिक आबादी वाले राज्यों में विश्वविद्यालय घनत्व राष्ट्रीय औसत से कम है, जबकि छोटे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विश्वविद्यालय घनत्व अपेक्षाकृत अधिक है।
  4. महिला नामांकन:
    • रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि केरल, छत्तीसगढ़, और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में महिलाओं का उच्च शिक्षा में नामांकन पुरुषों से अधिक है, जो महिलाओं के लिए एक सकारात्मक दिशा की ओर इशारा करता है।
    • इसके अलावा, चंडीगढ़, मिजोरम, और अंडमान निकोबार द्वीप समूह जैसे केंद्रशासित प्रदेशों में महिला और पुरुष नामांकन में संतुलन है।
  5. व्यय में वृद्धि और राज्यवार अंतर:
    • 2005-06 से 2019-20 तक उच्च शिक्षा पर प्रति युवा औसत व्यय में रु. 2,174 से बढ़कर रु. 4,921 हो गया है। हालांकि, इस वृद्धि में राज्यों के बीच बड़ा अंतर देखने को मिला है।
    • उच्च शिक्षा पर प्रति युवा खर्च में केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना जैसे राज्य शीर्ष स्थान पर हैं, जबकि राजस्थान, पंजाब, और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य इस मामले में पिछड़े हुए हैं।
  6. राज्यवार उच्च शिक्षा बजट:
    • महाराष्ट्र (रु. 11,421 करोड़) उच्च शिक्षा के लिए सबसे बड़ा बजट आवंटित करता है, जबकि सिक्किम (रु. 142 करोड़), अरुणाचल प्रदेश (रु. 155 करोड़), और नागालैंड (रु. 167 करोड़) जैसे राज्यों में बहुत कम बजट है।
    • बिहार का उच्च शिक्षा के लिए रु. 9,666 करोड़ का बजट है, जबकि तमिलनाडु का बजट रु. 7,237 करोड़ है। यह आंकड़े राज्यवार उच्च शिक्षा की प्राथमिकताओं और संसाधनों की स्थिति को दर्शाते हैं।
  7. सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के अनुसार व्यय:
    • रिपोर्ट के अनुसार, बिहार 1.56% जीएसडीपी के साथ उच्च शिक्षा पर सबसे अधिक व्यय करता है, जबकि जम्मू और कश्मीर 1.53% और मणिपुर 1.45% के साथ दूसरे स्थान पर हैं।
    • इसके विपरीत, तेलंगाना में उच्च शिक्षा पर जीएसडीपी का केवल 0.18% खर्च किया जाता है, जो अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत कम है।
  8. नीति आयोग की सिफारिशें:
    • नीति आयोग ने राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के लिए वित्तीय प्रबंधन, शासन, गुणवत्ता सुधार, और संवेदनशील शिक्षा में सुधार की सिफारिश की है।
    • उच्च शिक्षा में नवाचार, प्रौद्योगिकी का उपयोग, और शोध के स्तर को बढ़ाने के लिए राज्यों को विशेष प्रोत्साहन देने की बात कही गई है।

निष्कर्ष:
नीति आयोग की यह रिपोर्ट राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में सुधार और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रिपोर्ट में बताए गए राज्यवार वित्तीय असमानता और विविध चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, राज्यों को शिक्षा के गुणवत्ता सुधार, वित्तीय स्थिरता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करने की आवश्यकता है।