🚡 सोनप्रयाग–केदारनाथ व गोविंदघाट–हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाएँ
11 मार्च 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (EAC‑PM) ने राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम ‘पर्वतमाला परियोजना’ के तहत दो प्रमुख रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी:
1. परियोजना का अवलोकन
- मंजूरी तिथि: 11 मार्च, 2025
- मॉटिफ़: पर्वतीय तीर्थस्थलों तक हर मौसम में तेज़, सुरक्षित और सुविधाजनक कनेक्टिविटी
- विकास मॉडल: डिज़ाइन–बिल्ड–फाइनेंस–ऑपरेट–ट्रांसफर (DBFOT) के तहत पीपीपी
2. सोनप्रयाग ↔ केदारनाथ रोपवे
- दूरी: 12.9 किमी
- लागत: ₹4,081.28 करोड़
- तकनीक: त्रि‑केबल डिटेचेबल गोंडोला (3‑Cable Detachable Gondola)
- क्षमता:
- 35 गोंडोले
- 1,800 यात्री प्रति घंटे प्रति दिशा (PPHPD)
- दैनिक 18,000 यात्री
- यात्रा समय: वर्तमान 8–9 घंटे → रोपवे द्वारा मात्र 36 मिनट
3. गोविंदघाट ↔ हेमकुंड साहिब रोपवे
- दूरी: कुल 4 किमी
- गोविंदघाट → घांघरिया: 55 किमी (Mono‑Cable Detachable)
- घांघरिया → हेमकुंड साहिब: 85 किमी (Tri‑Cable Detachable)
- लागत: ₹2,730.13 करोड़
- क्षमता: 1,100 यात्री प्रति घंटे; दैनिक लगभग 11,000 यात्री
4. तकनीकी व वित्तीय संरचना
पहलू | सोनप्रयाग–केदारनाथ | गोविंदघाट–हेमकुंड साहिब |
तकनीकी सिस्टम | 3‑Cable Detachable Gondola | Mono‑Cable + Tri‑Cable Gondola |
पीपीपी मॉडल | DBFOT | DBFOT |
प्रति घंटे क्षमता | 1,800 PPHPD | 1,100 PPHPD |
दैनिक यात्री | 18,000 | 11,000 |
लागत | ₹4,081.28 करोड़ | ₹2,730.13 करोड़ |
5. अपेक्षित लाभ
- समय की बचत: घंटों का सफर ▶︎ मिनटों में पूरा
- पर्यटन व रोजगार: तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि एवं स्थानीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट
- हर मौसम कनेक्टिविटी: भारी बर्फ़बारी या बारिश में भी निर्बाध संचालन
- सुरक्षा और सुविधा: स्थिर ऊँचाई व गति, उन्नत निगरानी व आपात सुविधा
6. निष्कर्ष
ये रोपवे परियोजनाएँ न केवल केदारनाथ व हेमकुंड साहिब जैसी कठिन शिवालय मार्गों को सुगम बनाएँगी, बल्कि पर्वतीय विकास, स्थानीय रोजगार और पर्यटन को नई ऊँचाइयाँ प्रदान करेंगी। आधुनिक तीन‑केबल प्रौद्योगिकी और पीपीपी मॉडल के संयोजन से भारत की पर्वतीय परिवहन क्षमता एक नया मुकाम छूने जा रही है।