सामूहिक सुरक्षा का वैश्विक गठबंधन

नाटो (NATO) : सामूहिक सुरक्षा का वैश्विक गठबंधन

दुनिया में राजनीतिक और सैन्य गठबंधनों की बात हो तो नाटो (North Atlantic Treaty Organization) सबसे प्रमुख नामों में से एक है। बदलते भू-राजनीतिक हालात में इसकी भूमिका और भी अहम हो गई है। हाल ही में यह चर्चा में आया क्योंकि नाटो स्वीडन में एक लॉजिस्टिक्स बेस स्थापित करने पर विचार कर रहा है।


नाटो की स्थापना और पृष्ठभूमि

  • नाटो की स्थापना अप्रैल 1949 में उत्तरी अटलांटिक संधि (North Atlantic Treaty) पर हस्ताक्षर के साथ हुई।

  • इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है।

  • गठन का मुख्य उद्देश्य था तत्कालीन सोवियत संघ के विरुद्ध सामूहिक सुरक्षा प्रदान करना और पश्चिमी देशों के हितों की रक्षा करना।


नाटो के सदस्य

  • वर्तमान में नाटो में 32 सदस्य देश शामिल हैं।

  • स्वीडन (2024) इसका नवीनतम सदस्य है।

  • यह गठबंधन यूरोप और उत्तरी अमेरिका के देशों का समूह है।


अनुच्छेद 5 : सामूहिक सुरक्षा का वचन

नाटो का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान है अनुच्छेद 5 (Article 5)। इसमें कहा गया है:

👉 यदि नाटो के किसी एक या अधिक सदस्य देशों पर सशस्त्र हमला होता है, तो इसे सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा।
इस प्रावधान के तहत बाकी सभी सदस्य देश हमले का जवाब देने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाध्य होते हैं।


नाटो का उद्देश्य और भूमिका

  1. सामूहिक सुरक्षा – किसी भी बाहरी खतरे के विरुद्ध संयुक्त रक्षा।

  2. राजनीतिक सहयोग – सदस्य देशों के बीच स्थिरता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना।

  3. संकट प्रबंधन – वैश्विक स्तर पर शांति मिशनों और मानवीय सहयोग में भागीदारी।

  4. नई चुनौतियों से निपटना – साइबर हमले, आतंकवाद और हाइब्रिड युद्ध जैसे आधुनिक खतरों का सामना करना।


हालिया विकास : स्वीडन में लॉजिस्टिक्स बेस

नाटो अब स्वीडन में एक नया लॉजिस्टिक्स बेस स्थापित करने पर विचार कर रहा है।

  • यह कदम उत्तरी यूरोप और आर्कटिक क्षेत्र में बढ़ते सुरक्षा खतरों के मद्देनज़र उठाया जा रहा है।

  • इससे नाटो की रक्षा क्षमता और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली और भी मज़बूत होगी।


निष्कर्ष

नाटो (NATO) केवल एक सैन्य गठबंधन नहीं, बल्कि यह राजनीतिक स्थिरता, सामूहिक सुरक्षा और वैश्विक शांति का एक मज़बूत स्तंभ है। स्वीडन के नए सदस्य बनने और संभावित लॉजिस्टिक्स बेस की स्थापना से यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में नाटो की भूमिका और प्रभाव और भी बढ़ने वाला है।