इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) : बड़ी बिल्लियों के संरक्षण का वैश्विक अभियान
धरती पर मौजूद बिग कैट्स यानी बड़ी बिल्लियाँ पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत का प्रतीक मानी जाती हैं। लेकिन तेज़ी से बढ़ती मानवीय गतिविधियों, शिकार और आवास विनाश के कारण ये प्रजातियाँ संकट में हैं। इन्हें बचाने के लिए भारत ने एक बड़ा कदम उठाया और 2023 में “प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ” के मौके पर इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) की शुरुआत की।
स्थापना और पृष्ठभूमि
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IBCA की स्थापना भारत सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के माध्यम से की।
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इसका मुख्यालय भारत में स्थित है।
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यह एक बहु-देशीय और बहु-एजेंसी गठबंधन है, जो विभिन्न देशों को एक साझा मंच पर लाता है।
उद्देश्य
इस एलायंस का मक़सद है दुनिया की सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियों का संरक्षण करना। इनमें शामिल हैं:
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बाघ (Tiger)
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शेर (Lion)
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तेंदुआ (Leopard)
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हिम तेंदुआ (Snow Leopard)
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चीता (Cheetah)
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जगुआर (Jaguar)
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प्यूमा (Puma)
इन प्रजातियों की सुरक्षा से न केवल जैव विविधता सुरक्षित होगी बल्कि वैश्विक पारिस्थितिक संतुलन भी मज़बूत होगा।
सदस्य देश
वर्तमान में IBCA में 12 देश (भारत सहित) सदस्य हैं। ये देश उन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं जहाँ बिग कैट्स की आबादी पाई जाती है। भविष्य में और देशों को जोड़ने की योजना भी है, ताकि यह पहल और मज़बूत बने।
महत्व और संभावित लाभ
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वैश्विक सहयोग : अलग-अलग देशों की नीतियों और अनुभवों को साझा कर संरक्षण योजनाएँ बेहतर होंगी।
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अनुसंधान और तकनीक : आधुनिक ट्रैकिंग, जीन अध्ययन और आवास संरक्षण तकनीकों का इस्तेमाल।
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पारिस्थितिकी सुरक्षा : बिग कैट्स “टॉप प्रिडेटर्स” हैं, जिनकी मौजूदगी पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखती है।
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सतत विकास : वन्यजीव पर्यटन और स्थानीय समुदायों को लाभ पहुँचना।
निष्कर्ष
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA), भारत की अगुवाई में शुरू हुआ एक ऐतिहासिक प्रयास है। यह न केवल बड़ी बिल्लियों के संरक्षण की दिशा में वैश्विक साझेदारी का प्रतीक है, बल्कि मानव और प्रकृति के बीच संतुलित सहअस्तित्व की भी राह दिखाता है।