2📌 चरोंइडो मोइडाम (Charaideo Moidam) – एक वैश्विक धरोहर स्थल
📰 समाचार में क्यों?
- हाल ही में असम के चराइदेव मोइडाम को UNESCO की विश्व धरोहर सूची (World Heritage List) में शामिल किया गया है।
- यह निर्णय 46वें विश्व धरोहर समिति (WHC) के सत्र के दौरान दिल्ली में लिया गया।
🌐 महत्वपूर्ण तथ्य:
- यह पूर्वोत्तर भारत का पहला सांस्कृतिक स्थल है जिसे संस्कृतिक श्रेणी (Cultural Category) में शामिल किया गया।
- यह स्थल International Council on Monuments and Sites (ICOMOS) द्वारा नामित किया गया।
- भारत में अब कुल 43 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें से 3 असम में हैं (काजीरंगा, मानस, और चराइदेव)।
🏛️ UNESCO WHC सत्र में भारत की भूमिका:
- भारत ने पहली बार WHC की मेजबानी की।
- भारत ने वैश्विक दक्षिण (Global South) में संरक्षण के लिए $1 मिलियन का योगदान देने की घोषणा की।
- भारत और अमेरिका के बीच Cultural Property Agreement (CPA) पर हस्ताक्षर हुए, जो 1970 की UNESCO कन्वेंशन के अनुरूप है।
🏞️ चराइदेव मोइडाम की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता:
📍 स्थान:
- पूर्वी असम में पटकै पर्वतमाला (Patkai Hills) की तलहटी में स्थित।
🏯 रॉयल नेक्रोपोलिस (Royal Necropolis):
- यह स्थल ताई–अहोम राजवंश (13वीं से 19वीं सदी ईस्वी) के शाही समाधि स्थलों (Tombs) का समूह है।
- अक्सर इसे मिस्र के पिरामिडों की भांति कहा जाता है।
🔍 शब्दार्थ और प्रतीक:
- ‘मोइडाम’ शब्द का अर्थ है – “आत्मा का घर”, जो स्वर्ग और पृथ्वी के संबंध को दर्शाता है।
- ‘बुरांजी’ नामक ऐतिहासिक लेखन इस स्थल के विवरणों का मुख्य स्रोत है।
🏗️ वास्तुशिल्प विशेषताएँ:
- प्रत्येक मोइडाम में निम्नलिखित संरचनाएँ होती हैं:
○ मिट्टी का टीला (ग– मोइडाम), जिसके ऊपर मंदिरनुमा केंद्र (चौ–चा–ली) होता है।
○ अष्टकोणीय दीवार (गढ़) – ताई ब्रह्मांड की संरचना का प्रतीक।
○ ईंट–पत्थर की तहखाना (तक) और कब्र गड्ढा (गर्भा)।
- वृक्षारोपण: बरगद और श्मशान से जुड़े पेड़, जलाशय आदि की भी रचना की गई।
🛡️ संरक्षण और परंपरा:
- मोइडाम फुकान नामक विशेष अधिकारी और मोइडामिया नामक रक्षक दल इसकी सुरक्षा करते थे।
- समाधियों में कब्र–सामग्री, सेवक, आदि भी पाए जाते हैं – जो पुनर्जन्म और परलोक में विश्वास को दर्शाते हैं।
🔥 दफ़न विधियाँ:
- 17वीं सदी ई. पूर्व: शवों को सुगंधित तेलों से संरक्षित कर समाधियों में रखा जाता था।
- बाद में, दाह संस्कार के बाद राख को समाधि में रखा जाने लगा।
🧬 संस्कृतिक निरंतरता:
- मे–दम–मे–फी (पूर्वज पूजा) और तर्पण जैसे वार्षिक अनुष्ठान आज भी होते हैं।
- यह 600 वर्षों से चलती आ रही परंपरा को जीवित रखता है।
📜 ऐतिहासिक खोज:
- 1848 में Sergeant C. Clayton द्वारा प्रकाशित Asiatic Society of Bengal की पत्रिका में पहली बार एक मोइडाम का ग्राउंड प्लान प्रकाशित हुआ।
⚰️ भारत में अन्य दफ़न संस्कार परंपराएँ:
काल/संस्कृति | प्रमुख विशेषताएँ |
नवपाषाण काल | बुरजाहोम (श्रीनगर): अंडाकार कब्रें, पशु हड्डियों के साथ। UNESCO की अस्थायी सूची में शामिल। |
हड़प्पा सभ्यता | शवों को उत्तर-दक्षिण दिशा में पीठ के बल लिटाया जाता था। हरप्पा: ताबूत (coffin) समाधि। लोथल: जोड़ी कंकाल। |
मेगालिथिक काल | बड़े पत्थरों के स्मारक, लौह युग से जुड़ा। मृतकों के साथ वस्तुएँ रखी जाती थीं। हीरे बेन्कल (कर्नाटक) UNESCO की अस्थायी सूची में। |
चालकोलिथिक | इनामगाँव (महाराष्ट्र): कलश में समाधि देने की परंपरा। |
👑 अहोम राजवंश (13वीं–19वीं सदी ई.):
- स्थापना: सुकाफा, मोंग माओ का शान राजकुमार, पटकै पर्वत पार करके असम आए।
- जातीय मूल: ताई नस्ल, जो चीन के युन्नान प्रांत से म्यांमार होते हुए भारत आए।
- शासन व्यवस्था: राज्य परिषद के हाथों में शक्ति, राजा बिना उनकी सहमति के नहीं बन सकता था।
- संस्कृति: शैव और शक्तिवाद को अपनाया। कामाख्या मंदिर को फिर से बनवाया।
- पतन: बर्मी आक्रमण और 1826 में यांडाबू की संधि के बाद अंग्रेजों ने अधिग्रहण कर लिया।
प्रश्न 1:
चराइदेव मोइडाम को किस सभ्यता की दफ़न-संस्कृति के समतुल्य माना जाता है?
- A) मेसोपोटामिया
B) मिस्र
C) सिंधु घाटी
D) रोमन
प्रश्न 2
निम्नलिखित में से कौन से कथन सत्य हैं?
- मोइडाम संरचनाओं का निर्माण केवल दाह संस्कार की परंपरा से जुड़ा था।
- ताई-अहोम परंपरा में मोइडाम “आत्मा के घर” माने जाते थे।
- मोइडामों की वास्तु में अष्टकोणीय दीवारें ब्रह्मांड की संरचना का प्रतीक हैं।
- A) केवल 1 और 2
B) केवल 2 और 3
C) केवल 1 और 3
D) सभी सत्य हैं
प्रश्न 3:
UNESCO द्वारा WHC में नामांकन के लिए भारत द्वारा प्रस्तुत चराइदेव मोइडाम को किस संस्था ने तकनीकी मूल्यांकन के बाद अनुशंसित किया?
- A) ICCROM
B) INTACH
C) ICOMOS
D) ICSSR
प्रश्न 4
निम्न में से कौन सा/से कथन सत्य है/हैं?
- चराइदेव मोइडाम ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण तट पर स्थित हैं।
- यह स्थल 600 वर्षों से अधिक पुरानी अंत्येष्टि परंपराओं को दर्शाता है।
- ‘मोइडाम फुकान’ नामक अधिकारी इन समाधियों का निरीक्षण करते थे।
- A) केवल 1 और 2
B) केवल 2 और 3
C) केवल 1 और 3
D) सभी सत्य हैं
प्रश्न 5:
‘बुरांजी’ शब्द का उपयोग किस संदर्भ में किया जाता है?
- A) अहोम कालीन स्थापत्य शैली
B) मेगालिथिक दफ़न संस्कार
C) ताई-अहोम राजाओं का ऐतिहासिक अभिलेख
D) ब्रह्मपुत्र घाटी की लोककथा
प्रश्न 6:
UNESCO के 1970 कन्वेंशन, जिस पर भारत और अमेरिका ने Cultural Property Agreement साइन किया, का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- A) सांस्कृतिक विरासत के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देना
B) युद्ध काल में सांस्कृतिक संपदा की रक्षा
C) अवैध व्यापार और चोरी गए सांस्कृतिक वस्तुओं की वापसी
D) विश्व धरोहर स्थलों का प्रचार
प्रश्न 7:
इनमें से कौन–सा कथन असत्य है?
- A) भारत में चराइदेव पहला सांस्कृतिक स्थल है जिसे पूर्वोत्तर से WHS में शामिल किया गया।
B) मोइडाम संरचनाएँ पूर्णतः पत्थरों से निर्मित हैं।
C) इसमें पूर्वजों की पूजा की परंपरा आज भी ‘मे-दम-मे-फी’ के रूप में चलती है।
D) कुछ मोइडामों में सेवकों को भी दफनाया गया है।
प्रश्न 8 :
निम्न में से कौन-सा संयोजन सही मेल नहीं दर्शाता?
- A) बुरजाहोम – नवपाषाण काल – अंडाकार समाधि
B) हड़प्पा – ताबूत समाधि – दफ़न परंपरा
C) इनामगाँव – चालकोलिथिक – कलश में दफ़न
D) हीरे बेन्कल – वैदिक काल – यज्ञ शाला
प्रश्न 9:
अहोम राजाओं की अंत्येष्टि परंपरा में ‘चौ-चा-ली’ किस संरचना को कहा जाता था?
- A) समाधि का आंतरिक कक्ष
B) दफ़न टीले के ऊपर का मंदिरनुमा भाग
C) समाधि के आसपास का जलाशय
D) समाधि की रक्षक दीवार
प्रश्न 10
चराइदेव मोइडाम में निर्मित अष्टकोणीय घेरे का प्रतीकात्मक संबंध किससे है?
- A) तिब्बती मंडला
B) ताई ब्रह्मांड विज्ञान
C) बौद्ध ध्यान प्रक्रिया
D) वास्तु शास्त्र की दिशा-रेखा