1 नालंदा विश्वविद्यालय
🔷 हाल की खबरों में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने बिहार के राजगीर में नए नालंदा विश्वविद्यालय के नवनिर्मित परिसर का उद्घाटन किया।
🔶 नवीन नालंदा विश्वविद्यालय: एक समकालीन दृष्टिकोण
✳ स्थापना और उद्देश्य:
- स्थापना का आधार: नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत स्थापित।
- प्रेरणा स्रोत: 2007 में द्वितीय ईस्ट एशिया समिट (EAS), फिलीपींस में इस विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया।
- उद्देश्य: यह विश्वविद्यालय अंतर–सभ्यतागत संवाद का एक वैश्विक मंच बनने की दिशा में अग्रसर है।
✳ आधुनिक विशेषताएं:
- स्थान: यह नया परिसर प्राचीन नालंदा खंडहरों के पास स्थित है।
- पर्यावरणीय दृष्टिकोण: यह नेट ज़ीरो ग्रीन कैंपस है, अर्थात् ऊर्जा खपत और उत्सर्जन को संतुलित किया गया है।
- अंतरराष्ट्रीय भागीदारी: भारत के साथ-साथ चीन, जापान, थाईलैंड, लाओस, इंडोनेशिया आदि देशों ने भी आर्थिक और अकादमिक योगदान दिया है।
🔶 प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय: भारत की ज्ञान परंपरा का प्रतीक
✳ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- स्थापना: गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त प्रथम द्वारा 5वीं सदी में।
- समाप्ति: 1205 ई. में तुर्क आक्रांता बख्तियार खिलजी द्वारा नष्ट कर दिया गया।
✳ संरचना और वास्तुशिल्प:
- प्रकार: यह एक महाविहार (मठनुमा आवासीय विश्वविद्यालय) था।
- वास्तुशैली: कुषाण शैली में निर्मित, उत्तर-दक्षिण अक्ष पर आवासीय कोशिकाएँ और प्रार्थना स्थल (चैत्य)।
- वास्तु विशेषताएं: पाँच-खंडीय योजना (quincunxial pattern), जो बाद में पूरे पूर्वी एशिया की बौद्ध मंदिर वास्तुकला पर प्रभावी रही।
✳ शिक्षा और शैक्षिक उत्कृष्टता:
- विषय: वेद, त्रिविध बौद्ध परंपराएँ (हीनयान, महायान, वज्रयान), चिकित्सा, खगोलशास्त्र, राजनीति, युद्ध नीति, ललित कला आदि।
- प्रवेश प्रक्रिया: योग्यता आधारित, द्वारपालों द्वारा परीक्षा।
- पुस्तकालय: ‘धर्मगुंज’ (सत्य का पर्वत) – नौ मंज़िलों में फैले हुए 90 लाख ग्रंथ।
🔶 नालंदा के प्रमुख संरक्षक व शिष्य
✳ संरक्षक राजवंश:
- हर्षवर्धन (7वीं सदी), पाल वंश (8वीं से 12वीं सदी), सम्राट अशोक (श्रावक सारिपुत्र के चैत्य में दान दिया) ।
✳ विदेशी यात्री व विद्वान:
- ह्वेनसांग और ई–चिंग (चीन) – 7वीं सदी में आये।
- ह्वेनसांग ने योगशास्त्र की शिक्षा शीलभद्र से ली।
- कोरिया, जापान, मंगोलिया, तिब्बत, श्रीलंका, दक्षिण-पूर्व एशिया से विद्वान।
✳ महान आचार्य व दार्शनिक:
- आर्यभट्ट – गणितज्ञ, शून्य के प्रवर्तक।
- नागार्जुन – महायान बौद्ध दार्शनिक।
- धर्मपाल – ब्राह्मण विद्वान।
- दिङ्नाग – तर्कशास्त्र के प्रवर्तक।
- नरोपा – वज्रयान परंपरा के प्रमुख, नालंदा के प्रधान (1049-57 ई.)।
🔶 नालंदा की मूर्तिकला और कलात्मक योगदान
✳ मूर्तिकला की उत्पत्ति और विकास:
- गुप्तकालीन सारनाथ कला से प्रेरित।
- 9वीं सदी में बिहार की स्थानीय शैली, मध्य भारत की कला और सारनाथ शैली का मिश्रण – नालंदा स्कूल।
✳ पत्थर की मूर्तियाँ:
- गहरी नक्काशी, चेहरे के भाव प्रखर, पीठ पर विस्तृत पट्ट।
- भीड़ रहित, ललित और संतुलित संरचना।
✳ धातु मूर्तियाँ:
- 7वीं – 12वीं सदी (पाल काल)।
- प्रारंभिक काल में महायान देवता – मंजुश्री, अवलोकितेश्वर।
- बाद में वज्रयान देवता – वज्रशारदा, खासरपण।
🔶 अन्य प्रमुख बौद्ध शिक्षण केंद्रों की तुलना
केन्द्र | स्थान | विशिष्टता |
तक्षशिला | पाकिस्तान | पाणिनि, जीवक, चाणक्य; यूनानी काल में प्रसिद्ध; 1980 में UNESCO विरासत |
विक्रमशिला | भागलपुर, बिहार | पाल शासक धर्मपाल द्वारा; अतीश दीपंकर जैसे प्रसिद्ध विद्वान |
ओदंतपुरी | बिहार | गुप्तकाल के बाद दूसरा प्रमुख विश्वविद्यालय; पाल वंश के गोपाल I द्वारा |
नागरजुनकोंडा | आंध्र प्रदेश | महायान बौद्ध दर्शन के आचार्य नागार्जुन का स्थान |
रत्नगिरि | ओडिशा | वज्रयान का प्रमुख केंद्र; लालितगिरि, उदयगिरि के साथ हीरे का त्रिकोण |
वलभी | गुजरात | हिन्दू-बौद्ध अध्ययन का समन्वित केंद्र |
जगददल्ला | बांग्लादेश | पाल शासकों द्वारा संचालित; तिब्बती बौद्ध साहित्य में उल्लेख |
🔷 निष्कर्ष (Conclusion)
नालंदा न केवल प्राचीन भारत की बौद्धिक महाशक्ति का प्रतीक था, बल्कि यह वैश्विक ज्ञान–संवाद का केंद्र भी था। आज का नवीन नालंदा विश्वविद्यालय इसी परंपरा को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है – जो भारत को “विश्वगुरु“ की ओर फिर से ले जा सकता है।
✅ प्रश्न 1:
निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय ‘धर्मगुंज’ नौ मंज़िला था।
- इसमें मुख्य रूप से ताड़पत्र पर लिखे गए बौद्ध ग्रंथ ही संरक्षित थे।
- यह पुस्तकालय 12वीं सदी में प्राकृतिक आपदा से नष्ट हो गया।
उपयुक्त विकल्प चुनिए:
(a) केवल 1 सही है
(b) केवल 1 और 2 सही हैं
(c) केवल 2 और 3 सही हैं
(d) सभी सही हैं
✅ प्रश्न 2:
नालंदा की वास्तुकला के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) यह कुषाण शैली में बनी थी जिसमें कोशिकाएं प्रांगण के चारों ओर स्थित थीं।
(b) इसका लेआउट उत्तर-दक्षिण अक्ष पर आधारित था।
(c) इसमें पंचविंध (quincunxial) योजना के चैत्य शामिल थे।
(d) यह मुख्यतः नागर शैली का प्रतीक था।
✅ प्रश्न 3:
नालंदा विश्वविद्यालय के साथ निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित है?
- शीलभद्र — योगशास्त्र के आचार्य
- दिङ्नाग — तर्कशास्त्र के प्रवर्तक
- नरोपा — तंत्र परंपरा से असंबंधित
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) सभी सही हैं
✅ प्रश्न 4:
निम्नलिखित में से कौन-सा ‘नालंदा मूर्तिकला शैली’ की प्रमुख विशेषता नहीं है?
(a) मूर्तियों में विस्तृत पीठपट्ट (back slab)
(b) अधिक भीड़भाड़ और जटिलता
(c) चेहरे के भावों की स्पष्टता
(d) महायान और वज्रयान देवताओं का समावेश
✅ प्रश्न 5:
नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने की अंतरराष्ट्रीय पहल किस शिखर सम्मेलन से जुड़ी थी?
(a) SAARC शिखर सम्मेलन
(b) ब्रिक्स सम्मेलन
(c) ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन (EAS)
(d) UNESCO सम्मेलन
✅ प्रश्न 6:
निम्नलिखित में से किस विदेशी विद्वान ने नालंदा में योगशास्त्र का अध्ययन किया था?
(a) ह्वेनसांग (Xuanzang)
(b) ई-चिंग (Yijing)
(c) इत्सिंग (Itzing)
(d) फा-ह्यान (Faxian)
✅ प्रश्न 7
- नालंदा विश्वविद्यालय की खोज सबसे पहले भारतीय पुरातत्वविद् के.पी. जयसवाल ने की थी।
- इसके अवशेषों को 19वीं सदी में सर फ्रांसिस बुकानन ने खोजा था।
सही विकल्प चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों सही
(d) दोनों गलत
✅ प्रश्न 8:
नालंदा की मूर्तिकला शैली का विकास मुख्यतः किन दो प्रमुख प्रभावों के मेल से हुआ था?
(a) गंधार और मथुरा
(b) सारनाथ (गुप्त कालीन) और स्थानीय बिहार शैली
(c) अजंता और एलोरा
(d) बघेलखंड और सांची
✅ प्रश्न 9:
नालंदा विश्वविद्यालय के संदर्भ में “Quincuncial pattern” का प्रयोग किससे संबंधित है?
(a) युद्ध नीति
(b) वास्तुकला
(c) प्रशासनिक ढाँचा
(d) ग्रंथविन्यास
✅ प्रश्न 10:
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन नवीन नालंदा विश्वविद्यालय के संदर्भ में गलत है?
(a) यह एक ‘नेट ज़ीरो ग्रीन कैंपस’ है।
(b) इसकी स्थापना Nalanda University Act, 2010 के तहत हुई।
(c) यह वर्तमान में पूर्णतः निजी वित्तपोषित है।
(d) यह प्राचीन नालंदा के खंडहरों के पास स्थित है।