🌐 केरल: भारत का पहला 100% डिजिटल साक्षर राज्य
📅 प्रकाशन तिथि: 23 अगस्त 2025
✍️ लेखक: [Anmol tiwari]
🔍 परिचय
डिजिटल युग में प्रवेश कर चुकी दुनिया में डिजिटल साक्षरता अब एक विकल्प नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता बन चुकी है। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इसी दिशा में केरल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है — भारत का पहला 100% डिजिटल साक्षर राज्य बनने का गौरव।
यह केवल तकनीकी प्रगति नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और समावेशी विकास की ओर उठाया गया एक ठोस कदम है।
🖥️ डिजिटल साक्षरता क्या है?
डिजिटल साक्षरता का अर्थ है कि व्यक्ति या समुदाय डिजिटल उपकरणों, इंटरनेट और आधुनिक तकनीकों का समझदारी और सुरक्षित तरीके से उपयोग करने में सक्षम हो। इसका दायरा केवल कंप्यूटर चलाना नहीं, बल्कि जानकारी खोजना, सेवाएं लेना, ऑनलाइन संवाद करना, वित्तीय लेन-देन करना, और स्वयं को साइबर खतरों से सुरक्षित रखना भी शामिल है।
👨👩👧👦 डिजिटल रूप से साक्षर परिवार का मानक:
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परिवार में कम से कम एक सदस्य, जिसकी आयु 5 वर्ष या उससे अधिक हो,
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वह कंप्यूटर/स्मार्टफोन का उपयोग,
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और इंटरनेट की मूलभूत जानकारी रखता हो।
📍 डिजिटल क्रांति में केरल की भूमिका
📘 “डिजी केरलम” कार्यक्रम:
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2023 में शुरू किया गया।
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उद्देश्य: सभी आयु वर्ग के नागरिकों को डिजिटल साक्षर बनाना और ई-सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना।
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इसमें ऑनलाइन प्रशिक्षण, डिजिटल संसाधनों का वितरण, और स्थानीय निकायों के सहयोग से व्यापक जन-जागरूकता चलाई गई।
🏆 अक्षय प्रोजेक्ट: नींव की ईंट
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केरल का ही मलप्पुरम जिला पहले से ही भारत का पहला ई-साक्षर जिला बन चुका था।
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अक्षय प्रोजेक्ट ने स्थानीय समुदायों को कंप्यूटर साक्षर बनाने का बीड़ा उठाया था।
➡️ डिजी केरलम इसी मॉडल का राज्यव्यापी विस्तार है।
📈 डिजिटल साक्षरता के सामाजिक-आर्थिक लाभ
✅ 1. सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और कुशलता
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किसान कॉल सेंटर्स, कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSCs) और ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ग्रामीण और शहरी जनता को तेजी और पारदर्शिता के साथ सेवाएं प्रदान करते हैं।
✅ 2. लोकतंत्र में भागीदारी
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नागरिक ऑनलाइन मतदान, शिकायत दर्ज, सुझाव, और सरकारी योजनाओं की निगरानी में भाग ले सकते हैं।
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यह सशक्त नागरिक समाज के निर्माण की दिशा में बड़ा कदम है।
✅ 3. वित्तीय समावेशन में तेजी
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DBT (Direct Benefit Transfer) और UPI जैसी स्कीमों के ज़रिए पेंशन, सब्सिडी, छात्रवृत्ति सीधे लाभार्थियों को प्राप्त हो रही है।
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बैंकिंग सेवाओं की पहुँच डिजिटल के माध्यम से तेज़ी से बढ़ी है।
⚠️ डिजिटल साक्षरता से जुड़ी चुनौतियाँ
❌ 1. इंटरनेट का अनुचित उपयोग
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फेक न्यूज़, अफवाहें और ऑनलाइन कट्टरता जैसी समस्याएं सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा बन सकती हैं।
❌ 2. डेटा सुरक्षा का संकट
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आम नागरिक अब भी पासवर्ड, OTP, और पर्सनल डेटा साझा करने में सतर्क नहीं हैं।
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इससे डिजिटल धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं।
❌ 3. साइबर सुरक्षा: बढ़ती हुई चुनौती
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हैकिंग, वायरस अटैक, और रैनसमवेयर जैसे साइबर खतरे अब आम हो गए हैं।
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साइबर सुरक्षा के प्रति प्रशिक्षण और चेतना की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक है।
🌍 राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में केरल की सफलता
केरल का यह मॉडल भारत के अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है। विशेष रूप से पूर्वोत्तर, आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां डिजिटल पहुंच अब भी सीमित है, वहां:
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केरल के समुदाय-आधारित प्रशिक्षण मॉडल,
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स्थानीय निकायों की भागीदारी,
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और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप से
डिजिटल समावेशन को बढ़ावा मिल सकता है।
📌 निष्कर्ष: डिजिटल साक्षरता — समावेशी भारत की कुंजी
डिजिटल इंडिया की परिकल्पना केवल तकनीक से नहीं, बल्कि हर नागरिक तक डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करने से साकार होगी। केरल का यह मील का पत्थर यह साबित करता है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति, सुनियोजित नीति, और सामाजिक भागीदारी हो, तो डिजिटल समावेशन कोई सपना नहीं।
केरल ने केवल 100% डिजिटल साक्षरता का आंकड़ा नहीं छुआ, बल्कि 21वीं सदी के भारत के लिए मार्गदर्शक बन गया।
📚 संदर्भ स्रोत
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केरल राज्य सूचना प्रौद्योगिकी विभाग
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डिजी केरलम योजना दस्तावेज
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इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (भारत सरकार)
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नीति आयोग डिजिटल समावेशन रिपोर्ट
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प्रतिष्ठित समाचार एजेंसियाँ: The Hindu, PIB, LiveMint