वैश्विक परमाणु सुरक्षा की निगरानी

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA): वैश्विक परमाणु सुरक्षा की निगरानी

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के निरीक्षकों ने ईरान के बुशहर (Bushehr) स्थित प्रमुख परमाणु केंद्रों का निरीक्षण शुरू किया है। यह कदम परमाणु कार्यक्रमों की पारदर्शिता और वैश्विक परमाणु सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। IAEA हमेशा से ही विश्व स्तर पर परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग और हथियारों के प्रसार को रोकने में अहम भूमिका निभाती रही है।


IAEA की स्थापना और उद्देश्य

  • स्थापना वर्ष: 1957

  • मुख्यालय: वियना, ऑस्ट्रिया

  • प्रकृति: यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तहत कार्य करता है।

मुख्य उद्देश्य

  1. परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना।

  2. परमाणु हथियारों के प्रसार (Proliferation) को रोकना

  3. सदस्य देशों को वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराना।

  4. परमाणु संयंत्रों और कार्यक्रमों की सुरक्षा और पारदर्शिता की जांच करना।


बुशहर और IAEA का निरीक्षण

  • ईरान का बुशहर परमाणु संयंत्र देश का पहला सिविलियन परमाणु बिजलीघर है।

  • यह संयंत्र ऊर्जा उत्पादन के लिए स्थापित किया गया है, लेकिन पश्चिमी देशों को लंबे समय से आशंका रही है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम का उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए कर सकता है।

  • इसी संदर्भ में IAEA के निरीक्षक वहां जाकर यह जांचते हैं कि

    • वहां का परमाणु कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है या नहीं।

    • कहीं इसका इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने की दिशा में तो नहीं हो रहा।


IAEA की प्रमुख भूमिकाएँ

  1. निरीक्षण और सत्यापन (Inspections & Verification)

    • IAEA नियमित रूप से सदस्य देशों के परमाणु संयंत्रों का निरीक्षण करती है।

    • यह सुनिश्चित किया जाता है कि परमाणु सामग्री का दुरुपयोग न हो।

  2. सुरक्षा मानक (Safety Standards)

    • परमाणु संयंत्रों के सुरक्षित संचालन के लिए दिशा-निर्देश बनाना।

    • रेडिएशन और दुर्घटनाओं से सुरक्षा सुनिश्चित करना।

  3. तकनीकी सहयोग (Technical Cooperation)

    • विकासशील देशों को परमाणु तकनीक और विशेषज्ञता उपलब्ध कराना।

    • चिकित्सा, कृषि, ऊर्जा और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में परमाणु विज्ञान का उपयोग करवाना।

  4. परमाणु हथियारों पर नियंत्रण (Non-Proliferation)

    • परमाणु अप्रसार संधि (NPT) को लागू कराने में सहयोग करना।

    • किसी भी देश को परमाणु हथियार बनाने से रोकना।


भारत और IAEA

  • भारत ने IAEA के साथ 2008 में ऐतिहासिक परमाणु ऊर्जा समझौता किया था, जिसके तहत भारत को अमेरिका समेत कई देशों से सिविल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी तक पहुँच मिली।

  • भारत के कई परमाणु रिएक्टर IAEA की निगरानी में आते हैं।


निष्कर्ष

IAEA आज दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण संगठनों में से एक है, जो परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित और शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देता है। ईरान के बुशहर संयंत्र जैसे निरीक्षण यह संदेश देते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय परमाणु कार्यक्रमों को लेकर सतर्क है। आने वाले समय में, IAEA की भूमिका और भी बढ़ जाएगी क्योंकि दुनिया ऊर्जा संकट का समाधान खोजते हुए सुरक्षित परमाणु ऊर्जा पर अधिक निर्भर होती जा रही है।