भारतीय प्रतिभूति बाजार में डिजिटल सुरक्षा की नई परिभाषा

SEBI का साइबर सेफ्टी एंड साइबर रेजिलियंस फ्रेमवर्क (CCSRF): भारतीय प्रतिभूति बाजार में डिजिटल सुरक्षा की नई परिभाषा

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि उसका साइबर सेफ्टी एंड साइबर रेजिलियंस फ्रेमवर्क (Cyber Safety and Cyber Resilience Framework – CCSRF) केवल उन्हीं संस्थाओं पर लागू होता है जो SEBI द्वारा विनियमित (regulated entities) हैं। यह फ्रेमवर्क आधुनिक डिजिटल युग में वित्तीय बाजारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने का एक अहम प्रयास है।


CCSRF की पृष्ठभूमि

  • SEBI ने सबसे पहले यह फ्रेमवर्क 2015 में मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (Market Infrastructure Institutions – MIIs) के लिए जारी किया।

  • MIIs में प्रमुख रूप से स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटरी और क्लियरिंग कॉरपोरेशंस शामिल हैं।

  • इसका उद्देश्य प्रतिभूति बाजार में साइबर सुरक्षा (Cyber Security) और साइबर रेजिलियंस (Cyber Resilience) को मजबूत करना है।


CCSRF के मुख्य उद्देश्य

  1. डेटा और नेटवर्क सुरक्षा

    • वित्तीय लेनदेन, निवेशकों की व्यक्तिगत जानकारी और बाजार डेटा की रक्षा करना।

  2. खतरे की पहचान और रोकथाम

    • साइबर हमलों को रोकने और संभावित खतरों की समय रहते पहचान करने की व्यवस्था।

  3. रेजिलियंस (लचीलापन)

    • किसी भी साइबर हमले की स्थिति में बाजार ढांचे को शीघ्रता से पुनः चालू करने की क्षमता।

  4. वैश्विक मानकों का पालन

    • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुरूप भारतीय बाजारों को तैयार करना।


CCSRF का महत्व

  • निवेशक सुरक्षा: निवेशकों के धन और डाटा की रक्षा।

  • बाजार की विश्वसनीयता: घरेलू और विदेशी निवेशकों का भरोसा बनाए रखना।

  • तेजी से बढ़ते डिजिटल खतरों का सामना: रैनसमवेयर, डेटा चोरी और सिस्टम हैकिंग जैसे जोखिमों से सुरक्षा।

  • सतत विकास: वित्तीय बाजारों में डिजिटल परिवर्तन को सुरक्षित तरीके से बढ़ावा देना।


निष्कर्ष

SEBI का साइबर सेफ्टी एंड साइबर रेजिलियंस फ्रेमवर्क (CCSRF) भारतीय प्रतिभूति बाजार के लिए एक सुरक्षात्मक कवच है। यह न केवल साइबर खतरों से सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि निवेशकों और बाजार की पारदर्शिता, स्थिरता और विश्वसनीयता को भी मजबूत करता है। आने वाले समय में, जैसे-जैसे साइबर खतरों की प्रकृति बदलती जाएगी, वैसे-वैसे इस फ्रेमवर्क को और अद्यतन करने की आवश्यकता होगी।