भारतीय स्कूली शिक्षा में नए आयाम

UDISE+ 2024-25 रिपोर्ट: भारतीय स्कूली शिक्षा में नए आयाम

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) 2024-25 रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की सिफारिशों के अनुरूप है और पहली बार इसमें राष्ट्रीय स्तर पर सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों से व्यक्तिगत छात्र-वार डेटा एकत्र किया गया है। यह कदम शिक्षा प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और डेटा-आधारित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।


रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

1. शिक्षकों की संख्या

  • UDISE+ की शुरुआत के बाद पहली बार शिक्षकों की कुल संख्या 1 करोड़ से अधिक हो गई है।

  • यह संकेत देता है कि शिक्षा प्रणाली में मानव संसाधन का दायरा बढ़ रहा है।

2. छात्र-शिक्षक अनुपात (PTR)

  • रिपोर्ट में पाया गया कि PTR, NEP द्वारा अनुशंसित 1:30 से अधिक है।

  • यानी अभी भी कक्षाओं में पर्याप्त शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सुधार की आवश्यकता है।

3. ड्रॉपआउट दरों में गिरावट

  • प्रिपरेटरी स्तर: 2.3%

  • मिडिल स्तर: 3.5%

  • सेकेंडरी स्तर: 8.2%
    👉 यह दर्शाता है कि पिछले वर्षों की तुलना में अधिक बच्चे शिक्षा प्रणाली से जुड़े रह रहे हैं।

4. सकल नामांकन अनुपात (GER)

  • मिडिल स्तर: 90.3%

  • सेकेंडरी स्तर: 68.5%
    यह सुधार NEP 2020 के उस लक्ष्य के करीब पहुंचने का संकेत है, जिसमें 100% GER हासिल करने की दिशा तय की गई है।

5. एकल शिक्षक वाले स्कूल

  • इनकी संख्या में लगभग 6% की कमी आई है।

  • इसका मतलब है कि अब स्कूलों में अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है, जिससे शिक्षण की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।

6. शून्य नामांकन वाले स्कूल

  • इनकी संख्या में लगभग 38% की भारी गिरावट दर्ज की गई है।

  • यह सकारात्मक संकेत है कि स्कूलों में बच्चों का नामांकन लगातार बढ़ रहा है और शिक्षा तक पहुंच मजबूत हो रही है।


रिपोर्ट का महत्व

  • यह रिपोर्ट भारत में शिक्षा सुधारों की दिशा को स्पष्ट करती है।

  • नीति निर्माताओं को शिक्षा से जुड़ी वास्तविक चुनौतियों और प्रगति को समझने का मौका मिलेगा।

  • स्कूल-वार और छात्र-वार डेटा भविष्य की शिक्षा नीतियों को और सटीक बनाने में मदद करेगा।


निष्कर्ष

UDISE+ 2024-25 रिपोर्ट भारत की शिक्षा प्रणाली में बढ़ते नामांकन, घटते ड्रॉपआउट और शिक्षकों की बढ़ती संख्या जैसी सकारात्मक तस्वीर पेश करती है। हालांकि, छात्र-शिक्षक अनुपात और सेकेंडरी स्तर पर नामांकन को लेकर अभी और सुधार की आवश्यकता है। कुल मिलाकर यह रिपोर्ट NEP 2020 के लक्ष्यों की ओर भारत की ठोस प्रगति को दर्शाती है।