भारत की अर्थव्यवस्था का नया परिदृश्य

क्रय शक्ति समता (Purchasing Power Parity – PPP): भारत की अर्थव्यवस्था का नया परिदृश्य

EY (अर्न्स्ट एंड यंग) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। यह उपलब्धि न केवल भारत की आर्थिक मजबूती को दर्शाती है, बल्कि वैश्विक परिदृश्य में उसकी बढ़ती हुई भूमिका को भी स्पष्ट करती है।


क्रय शक्ति समता (PPP) क्या है?

PPP एक आर्थिक सिद्धांत है, जिसका उपयोग देशों के बीच उत्पादकता और जीवन स्तर की तुलना करने के लिए किया जाता है।

  • इसका आधार “एक जैसे वस्तुओं और सेवाओं की टोकरी (Basket of Goods)” की कीमत होती है।

  • यानी, अलग-अलग देशों की मुद्राओं की तुलना इस आधार पर की जाती है कि समान वस्तुएँ और सेवाएँ प्रत्येक देश में कितनी कीमत पर खरीदी जा सकती हैं।

👉 सरल शब्दों में, यदि एक कप कॉफ़ी अमेरिका में 3 डॉलर और भारत में 90 रुपये की है, और अगर 1 डॉलर = 75 रुपये है, तो PPP के आधार पर यह तुलना बताती है कि भारत में वस्तुएँ अपेक्षाकृत सस्ती हैं।


PPP और पारंपरिक GDP में अंतर

  1. GDP (Nominal): केवल बाज़ार विनिमय दरों पर आधारित होती है।

  2. GDP (PPP): जीवन-यापन की लागत और वस्तुओं की स्थानीय कीमतों को ध्यान में रखती है।

उदाहरण:

  • नाममात्र GDP में भारत 5वीं या 6वीं अर्थव्यवस्था हो सकता है।

  • लेकिन PPP में भारत दूसरे स्थान पर पहुँच सकता है, क्योंकि भारत में वस्तुएँ और सेवाएँ अपेक्षाकृत कम कीमत पर उपलब्ध हैं।


भारत की स्थिति

  • भारत का PPP के आधार पर GDP: लगभग $13-14 ट्रिलियन (हालिया अनुमान)।

  • अग्रणी देश:

    1. चीन – प्रथम

    2. भारत – दूसरे स्थान की ओर अग्रसर

    3. अमेरिका – तीसरे स्थान पर खिसकने की संभावना

इसका अर्थ है कि भारत वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में बड़ी उपभोक्ता और उत्पादक शक्ति के रूप में उभर रहा है।


PPP का महत्व

  1. जीवन स्तर की वास्तविक तुलना: यह बताता है कि किस देश में लोगों की आय से वास्तव में कितना सामान और सेवाएँ खरीदी जा सकती हैं।

  2. गरीबी और विकास का आकलन: वर्ल्ड बैंक और IMF अक्सर PPP का उपयोग गरीबी रेखा तय करने और देशों के विकास की तुलना करने में करते हैं।

  3. अंतर्राष्ट्रीय नीति निर्धारण: वैश्विक संगठन PPP आधारित आँकड़ों को ध्यान में रखकर सहायता और निवेश संबंधी निर्णय लेते हैं।

  4. वैश्विक निवेश: बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ PPP को देखकर तय करती हैं कि किस देश में निवेश करने से कम लागत और अधिक बाज़ार मिलेगा।


भारत के लिए अवसर और चुनौतियाँ

अवसर:

  • दुनिया का सबसे बड़ा युवा कार्यबल (Demographic Dividend)

  • वस्तुओं और सेवाओं की कम लागत पर उपलब्धता

  • तेजी से बढ़ता मध्यवर्गीय उपभोक्ता आधार

चुनौतियाँ:

  • बुनियादी ढाँचे की कमी।

  • आय असमानता

  • रोज़गार सृजन की धीमी गति।

  • वैश्विक प्रतिस्पर्धा और व्यापार नीतियाँ।


निष्कर्ष

क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर भारत का दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना न केवल एक आँकड़ा है, बल्कि यह संकेत है कि भारत वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक निर्णायक शक्ति बनने जा रहा है। यह उपलब्धि भारत की विशाल जनसंख्या, उत्पादन क्षमता और उपभोग क्षमता का परिणाम है।