पूर्वोत्तर क्षेत्र: भारत की आर्थिक संवृद्धि का नया केंद्र

पूर्वोत्तर क्षेत्र: भारत की आर्थिक संवृद्धि का नया केंद्र

प्रधान मंत्री ने हाल ही में कहा कि भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) अब देश की आर्थिक संवृद्धि में परिधीय नहीं बल्कि केंद्रीय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने ‘एक्ट ईस्ट विज़न’ का उल्लेख करते हुए बताया कि यह क्षेत्र सीमांत से निकलकर संवृद्धि का अग्रदूत बन चुका है।


🌏 पूर्वोत्तर के विकास हेतु प्रमुख पहलें

1. एक्ट ईस्ट पॉलिसी

  • पूर्वोत्तर को दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए भारत का प्रवेश द्वार माना गया है।

  • EAST (Empower, Act, Strength, Transform) फॉर्मूला लागू किया गया।

  • इसमें कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका पर विशेष ध्यान।

2. अवसंरचना विकास

  • रेलवे: बैराबी-सैरंग लाइन से मिजोरम की राजधानी आइजोल पहली बार राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ी।

  • राजमार्ग: जुलाई 2025 तक 16,207 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण। इसमें थेनज़ॉल-सियालसुक रोड और चिम्तुइपुई नदी पुल शामिल।

  • डिजिटल एवं हवाई कनेक्टिविटी:

    • भारतनेट कार्यक्रम के जरिए ग्राम पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ा गया।

    • उड़ान (UDAN) योजना ने नए हवाई मार्ग और हेलीपोर्ट जोड़े।

3. वित्तीय सहायता एवं योजनाएं

  • MDoNER (Ministry of Development of North Eastern Region) की स्थापना।

  • PM-DevINE योजना से अवसंरचना, कनेक्टिविटी और संचार परियोजनाओं को वित्तीय सहयोग।

4. गवर्नेंस एवं पारदर्शिता

  • पूर्वोत्तर विकास सेतु (PVS) पोर्टल से परियोजनाओं की मंजूरी और मॉनिटरिंग अधिक तेज़ और पारदर्शी।


🚧 प्रमुख चुनौतियां

  • कनेक्टिविटी: दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियां, बाढ़, और सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर अत्यधिक निर्भरता।

  • सुरक्षा:

    • विद्रोही संगठन (ULFA, NSCN)।

    • नृजातीय संघर्ष (असम–मिजोरम 2021, मणिपुर 2023)।

    • छिद्रिल सीमाओं से अवैध पलायन और तस्करी।

  • अर्थव्यवस्था:

    • निर्वाह कृषि और कमजोर औद्योगिक आधार।

    • निवेश की कमी।

    • युवाओं का बड़े पैमाने पर पलायन।

  • समाज:

    • जनजातीय पहचान संबंधी असुरक्षाएं।

    • प्रवास से उत्पन्न जनसांख्यिकीय दबाव (जैसे- NRC विवाद, असम)।


📌 निष्कर्ष

पूर्वोत्तर क्षेत्र अब भारत की विकास गाथा में केंद्रीय स्तंभ बनता जा रहा है। अवसंरचना, कनेक्टिविटी और आर्थिक अवसरों में सुधार से यह क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया से भारत के जुड़ाव का सेतु बनेगा। हालांकि, कनेक्टिविटी, सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को दूर किए बिना यह परिवर्तन अधूरा रहेगा।