सुर्ख़ियों में रहे व्यक्तित्व : डॉ. भूपेन हजारिका
प्रधान मंत्री ने हाल ही में डॉ. भूपेन हजारिका की 100वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया।
डॉ. हजारिका न केवल एक महान गायक, संगीतकार और कवि थे, बल्कि उन्होंने अपने गीतों से समाज में मानवता और एकता का संदेश भी दिया।
👤 डॉ. भूपेन हजारिका के बारे में
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जन्म: 1926, असम
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उपनाम: “बार्ड ऑफ ब्रह्मपुत्र” और “सुधाकंठ”
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सम्मान: पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण और भारत रत्न
🎶 प्रमुख योगदान
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वे एक मानवतावादी थे, जिनके गीतों में
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साम्प्रदायिक सद्भाव
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आशावाद और न्याय
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विरोध और क्रांति का स्वर
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समानुभूति और भाईचारा की गूंज मिलती है।
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उनके प्रसिद्ध गीत:
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“मनुहे मनुहार बाबे”
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“मोई एटी जाजाबोर”
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“बिस्तीर्ण परोरे”
इन गीतों में असमिया लोकसंगीत की आत्मा और मानवता व सद्भाव का सार्वभौमिक संदेश झलकता है।
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उन्होंने अपने क्षेत्र की जनजातीय समुदायों के बीच एकता और भाईचारे की भावना को मजबूत किया।
🌿 निष्कर्ष
डॉ. भूपेन हजारिका ने अपने संगीत और काव्य से लोगों के दिलों को जोड़ा।
वे सिर्फ असम ही नहीं, बल्कि पूरे भारत और दक्षिण एशिया में लोक संस्कृति, समानता और मानवीय मूल्यों के प्रतीक बन गए।