प्रधान मंत्री जन-धन योजना (PMJDY): 11 वर्षों की उपलब्धियाँ और प्रभाव
प्रधान मंत्री जन-धन योजना (PMJDY), जिसे 28 अगस्त 2014 को शुरू किया गया था, आज दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) पहल मानी जाती है। 11 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने इसकी ऐतिहासिक उपलब्धियों और जन-कल्याणकारी प्रभाव को रेखांकित किया।
योजना का उद्देश्य
PMJDY का मुख्य उद्देश्य था—
-
हर नागरिक को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना।
-
गरीब और वंचित वर्गों तक औपचारिक वित्तीय प्रणाली की पहुंच सुनिश्चित करना।
-
बचत, बीमा, पेंशन और क्रेडिट जैसी सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध कराना।
अब तक की प्रमुख उपलब्धियाँ
-
जनधन खाते: 56 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं।
-
महिला सशक्तिकरण: लगभग 56% खाते महिलाओं के नाम पर खोले गए।
-
ग्रामीण कवरेज: खातों का बड़ा हिस्सा ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोला गया।
-
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): विभिन्न सरकारी योजनाओं की सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाई जा रही है।
-
वित्तीय साक्षरता: इस योजना ने आम लोगों को बैंकिंग, डिजिटल भुगतान और बचत की आदत की ओर प्रेरित किया।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
-
गरीबों की पहुँच: ग्रामीण और शहरी गरीब अब औपचारिक वित्तीय प्रणाली का हिस्सा बने।
-
महिलाओं की भागीदारी: महिला खाताधारकों की संख्या बढ़ने से आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला।
-
पारदर्शिता: सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और लीकेज कम हुआ।
-
डिजिटल अर्थव्यवस्था: UPI और अन्य डिजिटल भुगतान प्लेटफ़ॉर्म के साथ जन-धन खाते आधार बने।
वैश्विक मान्यता
विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ PMJDY को दुनिया की सबसे सफल वित्तीय समावेशन योजनाओं में गिनती हैं। भारत का यह मॉडल कई विकासशील देशों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुका है।
निष्कर्ष
प्रधान मंत्री जन-धन योजना (PMJDY) ने वित्तीय समावेशन की दिशा में भारत को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। 11 साल बाद भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है और आने वाले वर्षों में यह योजना गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण और डिजिटल इंडिया मिशन की रीढ़ बनी रहेगी।