तालिबान प्रतिबंध समिति (Taliban Sanctions Committee) पर विस्तृत ब्लॉग
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए समय-समय पर विभिन्न प्रतिबंध समितियों का गठन किया है। इन्हीं में से एक है तालिबान प्रतिबंध समिति, जो अफगानिस्तान से जुड़े सुरक्षा मुद्दों और आतंकवाद की गतिविधियों पर निगरानी रखती है। हाल ही में तालिबान के विदेश मंत्री की भारत यात्रा इसी समिति के तहत लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों के कारण रद्द करनी पड़ी।
तालिबान प्रतिबंध समिति के बारे में
स्थापना
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वर्ष 2011 में UNSC ने पूर्ववर्ती 1267 समिति को दो भागों में विभाजित किया:
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अल-कायदा प्रतिबंध समिति (1267/1989)
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तालिबान प्रतिबंध समिति (1988)
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विभाजन का उद्देश्य था कि तालिबान और अल-कायदा से जुड़े मामलों को अलग-अलग तरीके से और अधिक प्रभावी ढंग से मॉनिटर किया जा सके।
मुख्य कार्य
तालिबान प्रतिबंध समिति का दायित्व है:
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अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए तालिबान से जुड़े व्यक्तियों, समूहों और संस्थाओं पर प्रतिबंधों की निगरानी करना।
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प्रतिबंधों में शामिल हैं:
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यात्रा प्रतिबंध (Travel Ban)
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संपत्ति फ्रीज़ (Assets Freeze)
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हथियारों पर प्रतिबंध (Arms Embargo)
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यह समिति तालिबान के नेताओं और संगठनों की गतिविधियों पर नजर रखती है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय शांति को भंग न कर सकें।
सदस्य
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इस समिति में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सभी 15 सदस्य शामिल होते हैं।
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सदस्य देश मिलकर प्रतिबंधों के क्रियान्वयन और समीक्षा में सहयोग करते हैं।
वर्तमान अध्यक्ष
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वर्ष 2025 तक पाकिस्तान इस समिति का अध्यक्ष है।
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अध्यक्षता UNSC के घूर्णन सिद्धांत (Rotational Basis) पर दी जाती है।
महत्त्व और वर्तमान परिप्रेक्ष्य
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अफगानिस्तान में तालिबान के शासन आने के बाद से इस समिति की प्रासंगिकता और बढ़ गई है।
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समिति यह सुनिश्चित करती है कि तालिबान की गतिविधियाँ अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को प्रभावित न करें।
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भारत जैसे देशों के लिए भी यह समिति महत्वपूर्ण है, क्योंकि अफगानिस्तान की स्थिति का सीधा असर दक्षिण एशिया की सुरक्षा और स्थिरता पर पड़ता है।
✅ निष्कर्ष
तालिबान प्रतिबंध समिति संयुक्त राष्ट्र की एक महत्वपूर्ण इकाई है, जो अफगानिस्तान से जुड़े आतंकवाद और अस्थिरता के खतरों पर अंकुश लगाने का प्रयास करती है। इसकी निगरानी व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि प्रतिबंधित व्यक्तियों और संगठनों की गतिविधियाँ वैश्विक शांति और स्थिरता को चुनौती न दें।