जनजातीय सरोकार

जनजातीय सरोकार : ‘हो’ जनजाति और मानकी-मुंडा व्यवस्था

हाल ही में झारखंड की ‘हो’ जनजाति ने अपनी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था – मानकी-मुंडा में बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। यह व्यवस्था उनकी सामाजिक-राजनीतिक पहचान और आत्मनिर्भर शासन की धरोहर है।


⚖️ पारंपरिक मानकी-मुंडा व्यवस्था

  • मुंडा :

    • वंशानुगत ग्राम प्रधान

    • गाँव स्तर पर सामाजिक-राजनीतिक विवादों का समाधान करता है।

  • मानकी :

    • क्षेत्रीय प्रधान

    • मुंडा स्तर पर न सुलझे विवादों का निपटारा करता है।

👉 यह व्यवस्था जनजाति की आत्मशासन प्रणाली को मजबूत बनाती है।


👥 ‘हो’ जनजाति के बारे में

  • अन्य नाम: हो, होडोको, होरो, कोल्हा

  • नृजातीय समूह: ऑस्ट्रो-एशियाटिक मुंडा नृजातीय समूह

  • मुख्य प्राप्ति क्षेत्र:

    • झारखंड का कोल्हान क्षेत्र

    • ओडिशा

    • साथ ही कुछ आबादी: प. बंगाल, बिहार, बांग्लादेश और नेपाल

  • स्थिति: इन्हें ‘विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG)’ में शामिल नहीं किया गया है।


🌿 निष्कर्ष

‘हो’ जनजाति का संघर्ष यह दर्शाता है कि जनजातीय स्वशासन व्यवस्था आज भी उनकी सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है। बाहरी हस्तक्षेप इनके परंपरागत अधिकारों और आदिवासी स्वायत्तता पर सवाल खड़े करता है।