
Uttar Pradesh Weekly Current Affairs (1st to 7th July 2024)
1. उत्तर प्रदेश में अल्ट्रा हाई-परफॉर्मेंस कंक्रीट (UHPC) का उपयोग:
- उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (PWD) IIT-कानपुर के साथ मिलकर UHPC विकसित करेगा।
- UHPC, M60 ग्रेड कंक्रीट की तुलना में 4-6 गुना अधिक मजबूत और टिकाऊ होगा।
- इसका उपयोग फ्लाईओवर, पुलों, रेलवे ओवरब्रिज आदि के निर्माण में होगा।
- UHPC कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद करेगा।
- नैनो तकनीक का उपयोग करके विकसित यह उत्पाद तीन साल में तैयार होगा।
कार्बन फुटप्रिंट:
- यह लोगों की गतिविधियों से उत्पन्न CO2 उत्सर्जन का माप है।
- इसे टन CO2 उत्सर्जन के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- इसका उपयोग व्यक्तियों, परिवारों, घटनाओं, संगठनों और देशों के लिए किया जा सकता है।
अतिरिक्त जानकारी:
- UHPC का उपयोग दुनिया भर में बुनियादी ढांचे के निर्माण में किया जा रहा है।
- यह कंक्रीट की तुलना में अधिक टिकाऊ और मजबूत होता है, जिससे कम रखरखाव की आवश्यकता होती है।
- UHPC का उपयोग कम सीमेंट का उपयोग करके किया जाता है, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है।
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2. दृष्टिबाधितों के लिए नया यूज़र इंटरफेस:
मुख्य बातें:
- IIT इलाहाबाद और जर्मनी के कार्लस्रूहे इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने दृष्टिबाधित लोगों के लिए चार्ट समझने में मदद करने वाला एक उपकरण विकसित किया है।
- यह उपकरण AI-जनित वैकल्पिक पाठ (Alt-text) का उपयोग करके छवियों को समझने में मदद करता है।
- Alt-text को आमतौर पर मैन्युअल रूप से लिखा जाता है, जो त्रुटिपूर्ण हो सकता है।
- यह उपकरण AI इमेज रिट्रीवल का उपयोग करके Alt-text को अधिक सटीक बनाता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI):
- AI मशीनों को सीखने और बुद्धिमान व्यवहार करने की क्षमता प्रदान करता है।
- इसमें मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, बिग डेटा, न्यूरल नेटवर्क, कंप्यूटर विज़न, लार्ज लैंग्वेज मॉडल आदि शामिल हैं।
- AI का उपयोग विभिन्न कार्यों को स्वचालित करने और जीवन को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है।
अतिरिक्त जानकारी:
- यह उपकरण दृष्टिबाधित लोगों को शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्र जीवन में सहायता कर सकता है।
- AI तकनीकों का उपयोग विभिन्न प्रकार की विकलांगताओं वाले लोगों के लिए सहायक उपकरण विकसित करने के लिए किया जा रहा है।
- AI में समाज में क्रांति लाने और सभी के लिए जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता है।
3. सारस क्रेन की संख्या में वृद्धि: उत्तर प्रदेश में सकारात्मक खबर
मुख्य बातें:
- उत्तर प्रदेश में सारस क्रेन की संख्या में वृद्धि हुई है।
- 2024 में, 19,918 सारस क्रेन गिने गए, जो 2021 में 17,329 से अधिक है।
- इटावा वन प्रभाग में सबसे अधिक 3,289 सारस क्रेन दर्ज किए गए।
- मऊ वन प्रभाग में एक दशक में पहली बार छह सारस क्रेन देखे गए।
सारस क्रेन:
- यह दुनिया का सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी है।
- यह लाल सिर, भूरे रंग की गर्दन और हल्के लाल पैरों वाला एक सुंदर पक्षी है।
- सारस आजीवन जोड़े में रहते हैं और मानसून के दौरान प्रजनन करते हैं।
- वे आर्द्रभूमि, दलदली भूमि और जल वाले मैदानों में रहते हैं।
संरक्षण की स्थिति:
- सारस क्रेन को IUCN रेड लिस्ट में “सुभेद्य” वर्गीकृत किया गया है।
- वे भारत में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत अनुसूची IV में शामिल हैं।
यह वृद्धि उत्तर प्रदेश वन विभाग के संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। विभाग ने सारस क्रेन के प्राकृतिक आवासों को बचाने और उनके प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं।
यह खबर उन लोगों के लिए भी उत्साहजनक है जो पक्षी संरक्षण में रुचि रखते हैं। यह दर्शाता है कि संरक्षण प्रयासों से सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
4. आम की छँटाई के लिए परमिट रद्द: उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए खुशखबरी
मुख्य बातें:
- उत्तर प्रदेश सरकार ने आम के पेड़ों की छँटाई/प्रूनिंग के लिए सरकारी अनुमति की आवश्यकता को रद्द कर दिया है।
- यह किसानों को अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए पेड़ों को छँटने और उनकी ऊंचाई कम करने में मदद करेगा।
- यह निर्णय पुराने आम के बागों के लिए फायदेमंद होगा, जिससे उनकी उत्पादकता बढ़ेगी।
- CISH द्वारा विकसित “टेबल-टॉप प्रूनिंग” तकनीक का उपयोग करके छँटाई करने से 2-3 वर्षों में 100 किलोग्राम तक उपज प्राप्त की जा सकती है।
अतिरिक्त जानकारी:
- पुराने आम के बागों में, नई पत्तियों और शाखाओं की वृद्धि कम हो जाती है, जिससे फूल और फल उत्पादन प्रभावित होता है।
- मोटी और उलझी हुई शाखाएं पर्याप्त प्रकाश को अंदर तक नहीं पहुंचने देती हैं, जिससे कीट और बीमारियां बढ़ जाती हैं।
- “टेबल-टॉप प्रूनिंग” तकनीक पेड़ की छतरी को खोल देती है, ऊंचाई कम करती है और स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देती है।
- यह तकनीक कीटनाशकों के उपयोग को भी कम करती है।
यह निर्णय उत्तर प्रदेश के आम किसानों के लिए एक बड़ी राहत है। यह उन्हें अपनी फसलों का बेहतर प्रबंधन करने और अपनी आय बढ़ाने में मदद करेगा।
5. हाइब्रिड कारों पर कोई रजिस्ट्रेशन टैक्स नहीं
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाइब्रिड कारों पर रजिस्ट्रेशन टैक्स माफ करने का निर्णय लिया है। यह ग्रीन वाहनों के लिये एक महत्वपूर्ण बढ़ावा है।
मुख्य बिंदु:
- फायदा: मारुति सुज़ुकी, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर और होंडा कार्स इंडिया जैसी कंपनियों को इससे मुख्य रूप से लाभ होगा। ग्राहक 3.5 लाख रुपये तक की बचत कर सकते हैं।
- रोड टैक्स: उत्तर प्रदेश में 10 लाख रुपये से कम मूल्य के वाहनों पर 8% रोड टैक्स और 10 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) से अधिक मूल्य के वाहनों पर 10% रोड टैक्स लगाया जाता है।
- राजस्व प्रभाव: हाइब्रिड वाहनों की कम बिक्री के कारण इस कर माफी से राज्य के राजस्व पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ने की आशा नहीं है।
- स्वामित्व में आसानी: इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की तरह समर्पित चार्जिंग बुनियादी ढांचे की आवश्यकता नहीं होती है। पेट्रोल कारों की तुलना में बेहतर माइलेज और कम अधिग्रहण लागत के कारण हाइब्रिड वाहनों की बिक्री में तेजी आ रही है।
- ईवी टैक्स छूट: वर्ष 2023 में राज्य ने इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए तीन वर्ष की टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क छूट की घोषणा की थी, जबकि राज्य के भीतर निर्मित इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पाँच वर्ष की छूट दी जाएगी।
हाइब्रिड वाहन:
हाइब्रिड वाहन पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (Internal Combustion Engine – ICE) को इलेक्ट्रिक प्रणोदन प्रणाली के साथ जोड़ते हैं, जिससे वाहन को एक या दोनों ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके संचालित किया जा सकता है। हाइब्रिड प्रणालियाँ विभिन्न प्रकार की होती हैं, लेकिन सबसे आम हैं:
- समानांतर हाइब्रिड: इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों ही वाहन को स्वतंत्र रूप से शक्ति प्रदान कर सकते हैं।
- शृंखला हाइब्रिड: केवल इलेक्ट्रिक मोटर पहियों को चलाती है, जबकि इंजन विद्युत उत्पन्न करता है।
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