🇮🇳🤝🇷🇺 भारत-रूस रणनीतिक संबंधों की नई दिशा: विदेश मंत्री की रूस यात्रा
भारत और रूस के द्विपक्षीय संबंध दशकों से मजबूती और विश्वास के प्रतीक रहे हैं। अगस्त 2025 में भारत के विदेश मंत्री की रूस यात्रा, इन संबंधों को और गहराई देने और बहुपक्षीय सहयोग को गति देने के लिहाज़ से बेहद अहम साबित हुई।
🔹 यात्रा का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य था:
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भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता।
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यह आयोग 1992 में स्थापित किया गया था और इसका कार्य है आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की प्रगति पर नियमित निगरानी रखना।
विदेश मंत्री की यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक राजनीति में भू-सामरिक तनाव गहराते जा रहे हैं — जैसे यूक्रेन युद्ध, अफगानिस्तान में अस्थिरता और पश्चिम एशिया की जटिलताएं।
🔑 यात्रा के मुख्य परिणाम
1. 🌍 आर्थिक सहयोग
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2030 तक भारत-रूस आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को अंतिम रूप देने पर सहमति बनी।
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भारत-यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को जल्द से जल्द निष्पादित करने की दिशा में प्रगति पर चर्चा हुई।
➡️ इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के अवसरों में तेजी आएगी।
2. 🚢 लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी और वैकल्पिक गलियारे
भारत और रूस ने तीन मुख्य लॉजिस्टिक परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया:
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अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC)
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चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा
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नॉर्दर्न सी रूट (Northern Sea Route)
👉 इन मार्गों के विकसित होने से भारत को मध्य एशिया और यूरोप तक सस्ता, तेज़ और सुरक्षित परिवहन विकल्प मिलेगा।
3. 🌐 वैश्विक और बहुपक्षीय मुद्दे
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भारत और रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
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रूस ने एक बार फिर UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया।
🗣️ यह एक संकेत है कि रूस भारत को वैश्विक नेतृत्व में एक प्रमुख भूमिका में देखना चाहता है।
4. 🛰️ रक्षा और सुरक्षा सहयोग
भारत-रूस रक्षा साझेदारी लंबे समय से चली आ रही है। मुख्य परियोजनाएँ:
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S-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति
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ब्रह्मोस मिसाइल का संयुक्त निर्माण
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INDRA जैसे द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास
🛡️ रूस भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को सशक्त बनाने में एक विश्वसनीय भागीदार बना हुआ है।
5. 🌏 क्षेत्रीय संकटों पर विचार-विमर्श
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यूक्रेन युद्ध, अफगानिस्तान की स्थिति और पश्चिम एशिया में जारी संकटों पर परस्पर विचार साझा किए गए।
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भारत ने शांति और कूटनीति पर बल दिया, जबकि रूस ने भारत के संतुलित दृष्टिकोण की सराहना की।
🇮🇳🇷🇺 भारत-रूस संबंध: एक रणनीतिक साझेदारी
भारत और रूस के संबंध “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” (Special and Privileged Strategic Partnership) के अंतर्गत आते हैं।
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द्विपक्षीय व्यापार: 2023-24 में $65.70 बिलियन के स्तर तक पहुँचा।
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ऊर्जा सहयोग: रूस भारत को तेल और गैस का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।
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अंतरिक्ष और विज्ञान: ग्लोनाS-नविगेशन, मानव अंतरिक्ष मिशन आदि में सहयोग।
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शिक्षा और संस्कृति: रूसी भाषा, चिकित्सा शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी सहयोग का अहम हिस्सा हैं।
✍️ निष्कर्ष
विदेश मंत्री की रूस यात्रा ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि भारत-रूस संबंध केवल रणनीतिक ही नहीं, बल्कि बहुआयामी और दीर्घकालिक हैं।
दुनिया के बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत रूस के साथ अपनी साझेदारी को विकास, सुरक्षा और वैश्विक प्रभाव के स्तंभों पर और सशक्त करना चाहता है।