भारत को सेवा-संचालित अर्थव्यवस्था से ‘उत्पाद राष्ट्र’ बनने की दिशा में क्यों बढ़ना चाहिए

भारत को सेवा-संचालित अर्थव्यवस्था से ‘उत्पाद राष्ट्र’ बनने की दिशा में क्यों बढ़ना चाहिए?

भारत लंबे समय से सेवा-संचालित अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है, जहाँ IT सेवाएँ, बैक-ऑफिस सपोर्ट, और डिजिटल समाधान इसकी प्रमुख ताकत रही हैं। लेकिन बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य — जिसमें व्यापार युद्ध, एकतरफा टैरिफ और आपूर्ति श्रृंखला में असंतुलन जैसे कारक शामिल हैं — अब यह संकेत दे रहे हैं कि भारत को सिर्फ सेवाओं पर आधारित अर्थव्यवस्था से आगे बढ़कर एक “उत्पाद राष्ट्र” (Product Nation) बनना चाहिए।


‘उत्पाद राष्ट्र’ क्या है?

  • एक उत्पाद राष्ट्र वह देश है, जो उच्च मूल्य वाले उत्पादों का बड़े पैमाने पर उत्पादन और निर्यात करता है।

  • ऐसा देश निवल आयातक (Net Importer) की बजाय निवल उत्पादक (Net Producer) बन जाता है।

  • उत्पाद राष्ट्र न केवल नवाचार (Innovation) करता है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में बौद्धिक संपदा (IP)-आधारित समाधान विकसित कर उन्हें वैश्विक स्तर पर निर्यात करता है।


भारत को ‘उत्पाद राष्ट्र’ क्यों बनना चाहिए?

1. रणनीतिक लाभ

  • जिन देशों के पास रणनीतिक उत्पाद होते हैं, उनका वैश्विक प्रभाव भी अधिक होता है।

  • उदाहरण:

    • ताइवान उन्नत चिप्स उत्पादन में अग्रणी है।

    • चीन दुर्लभ भू-खनिजों (Rare Earth Minerals) का सबसे बड़ा उत्पादक है।

  • यदि भारत उच्च-प्रौद्योगिकी उत्पादों में आत्मनिर्भर होता है, तो इसका रणनीतिक महत्व कई गुना बढ़ जाएगा।

2. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में हिस्सेदारी

  • भारत यदि IP-आधारित डिज़ाइनों और अपने ब्रांडेड उच्च-मूल्य उत्पादों का निर्माण करता है, तो वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकता है।

3. आर्थिक लचीलापन

  • केवल सेवाओं पर आधारित अर्थव्यवस्था वैश्विक मंदी या उतार-चढ़ाव से प्रभावित हो सकती है।

  • लेकिन एक उत्पाद आधारित अर्थव्यवस्था अधिक स्थायी, मजबूत और लचीली होती है।


भारत को ‘उत्पाद राष्ट्र’ बनाने के लिए उठाए गए कदम

1. उत्पादन-से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं

  • 14 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लक्षित प्रोत्साहन।

  • उद्देश्य: घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और भारत को वैश्विक उत्पादन केंद्र बनाना।

2. डिजाइन-से संबद्ध प्रोत्साहन योजना

  • विशेषकर सेमीकंडक्टर डिज़ाइन के लिए वित्तीय मदद।

  • घरेलू डिजाइन अवसंरचना तैयार करने पर जोर।

3. प्रमुख नवाचार मिशन

  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन

  • अटल इनोवेशन मिशन

  • IndiaAI मिशन
    👉 ये पहलें भारत को उच्च-तकनीकी उत्पाद विकास की ओर ले जा रही हैं।

4. राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति

  • आपूर्ति श्रृंखला की लागत घटाने और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए शुरू की गई।


आगे की राह: भारत को क्या करना चाहिए?

1. वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा देना

  • ताइवान, जापान और जर्मनी जैसे देशों की विशेषज्ञता से सीखकर विनिर्माण और नवाचार को तेज करना।

2. अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर निवेश

  • R&D बजट बढ़ाना।

  • शिक्षा जगत, उद्योग और सरकार के बीच सहयोगी अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।

3. मानव पूंजी का विकास

  • उत्पाद आधारित अर्थव्यवस्था के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स को बढ़ावा देना।

  • उच्च तकनीकी शिक्षा पर विशेष ध्यान देना।

4. नीतिगत समर्थन

  • उद्योग-अनुकूल नीतियाँ लाना।

  • विनियामक बाधाओं को कम करना।

  • स्टार्टअप्स और MSMEs को उच्च-मूल्य उत्पाद नवाचार में मदद करना।


निष्कर्ष

भारत की IT सेवाओं और डिजिटल अर्थव्यवस्था ने दुनिया में उसकी पहचान बनाई है, लेकिन भविष्य की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए केवल सेवाओं पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा। भारत को अब एक “उत्पाद राष्ट्र” बनने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाने होंगे। यह बदलाव न केवल भारत की आर्थिक मजबूती और वैश्विक प्रभाव को बढ़ाएगा, बल्कि देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा।