‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं, 2023’ रिपोर्ट: चिंताजनक आँकड़े और सुरक्षा की चुनौती
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं, 2023’ नामक वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट देश में सड़क सुरक्षा की मौजूदा स्थिति और उससे जुड़ी गंभीर चुनौतियों को उजागर करती है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
1. कुल दुर्घटनाएं
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2023 में 4,80,583 सड़क दुर्घटनाएं हुईं।
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यह आंकड़ा 2022 की तुलना में 4.2% अधिक है।
👉 इसका मतलब है कि सड़क सुरक्षा के प्रयासों के बावजूद स्थिति और अधिक गंभीर हो रही है।
2. सर्वाधिक दुर्घटनाएं वाले राज्य
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तमिलनाडु: सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं।
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इसके बाद मध्य प्रदेश का स्थान रहा।
3. सर्वाधिक मौतें वाले राज्य
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उत्तर प्रदेश: सड़क दुर्घटनाओं से सबसे अधिक मौतें।
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इसके बाद तमिलनाडु दूसरे स्थान पर रहा।
4. प्रभावित आयु समूह
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दुर्घटनाओं के शिकार लोगों में 18-45 वर्ष के युवा 66.4% रहे।
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यह आंकड़ा दर्शाता है कि देश की सबसे उत्पादक और सक्रिय आयु वर्ग सबसे अधिक प्रभावित है।
5. दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण
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मानवीय गलतियां: यातायात नियमों का उल्लंघन, तेज रफ्तार, शराब पीकर गाड़ी चलाना आदि।
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सड़क का परिवेश: खराब सड़कें, अव्यवस्थित ट्रैफिक, अपर्याप्त संकेतक।
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वाहनों की स्थिति: तकनीकी खराबी और रखरखाव की कमी।
रिपोर्ट का महत्व
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यह रिपोर्ट नीति-निर्माताओं को सड़क सुरक्षा सुधारने के लिए ठोस रणनीतियाँ बनाने का अवसर देती है।
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राज्यों के स्तर पर सुरक्षा मानकों और बुनियादी ढांचे की खामियों को उजागर करती है।
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युवाओं में सुरक्षित ड्राइविंग की जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर देती है।
आगे की राह: समाधान की दिशा
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कठोर नियम और प्रवर्तन
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यातायात उल्लंघनों पर सख्त दंड।
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स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली का उपयोग।
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सड़क अवसंरचना का सुधार
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सुरक्षित डिज़ाइन वाली सड़कें।
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पैदल यात्रियों और दोपहिया वाहनों के लिए अलग लेन।
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वाहनों की सुरक्षा जांच
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नियमित फिटनेस टेस्ट और तकनीकी मानकों का पालन।
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जनजागरूकता अभियान
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युवाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा शिक्षा।
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हेलमेट, सीटबेल्ट और स्पीड लिमिट का पालन कराने पर विशेष ज़ोर।
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आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता
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दुर्घटनास्थल पर त्वरित चिकित्सा सुविधा।
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108 एम्बुलेंस जैसी सेवाओं का विस्तार।
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निष्कर्ष
“भारत में सड़क दुर्घटनाएं, 2023” रिपोर्ट साफ दर्शाती है कि सड़क सुरक्षा भारत के लिए अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। दुर्घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी और खासकर युवाओं की अधिक भागीदारी इस समस्या को और गंभीर बनाती है। ऐसे में, अब ज़रूरी है कि सरकार, नागरिक समाज और आम लोग मिलकर सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता बनाएं ताकि सड़कों को वास्तव में सुरक्षित जीवन रेखा बनाया जा सके।